तुलसी के 6 Unkown साइड इफेक्ट्स
बचपन से हम सब तुलसी के फायदों के बारे में सुनते आए हैं। इस जादुई जड़ी बूटी में छुपे स्वास्थ्यवर्धक लाभों के कारण हम तुलसी को अपने बगीचे में लगाना पसंद करते हैं। आयुर्वेद में भी तुलसी के लाभों के बारे में बखूबी बयान किया गया है। तुलसी छोटे से लेकर बड़े रोगों को ठीक करने में मदद करती है लेकिन हर पदार्थ की तरह इसके भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए इनके बारे में जानना हमारे लिए बहुत जरुरी है।
1 युजीनाल का ओवरडोज:
युजीनाल, तुलसी का प्राथमिक तत्व है। माना जाता है कि तुलसी का अधिक सेवन शरीर में युजीनाल के स्तर को बढ़ा सकता है। युजीनाल का बढता स्तर हमारे शरीर के लिए विषैला साबित हो सकता है। सिगरेट व कुछ फूड फ्लेवरिंग पदार्थों में यूजीनाल पाया जाता है।
लक्षण: खांसी के दौरान खून का आना, तेजी से सांस लेना व पेशाब में खून का आना।
2 खून को पतला करता है:
तुलसी के अधिक सेवन से आपका खून पतला हो सकता है। इसी कारण वालफरिन व हेपरिन जैसी दवाओं को लेने वाले रोगियों को तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए चूंकि तुलसी इन दवाओं में मौजूद खून को पतला करने के गुण की गति को बढा सकती है। यह गति एक बड़ी समस्या का कारण बन सकती है। इसके अलावा, तुलसी को अन्य एंटी-क्लोटिंग दवाओं के साथ भी नहीं लेना चाहिए।
लक्षण: चोट लगने पर अधिक खून का बहना तथा शरीर पर नील के निशान।
3 हाइपोग्लाइसीमिया:
हाइपोग्लाइसीमिया एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसमें रोगी के रक्त शर्करा का स्तर असामान्य रुप से कम हो जाता है। अक्सर, अपने उच्च रक्त शर्करा के स्तर को घटाने के लिए रोगी तुलसी का सेवन करते हैं। अगर मधुमेह व हाइपोग्लाइसीमिया के मरीज दवाओं के साथ तुलसी का सेवन करेंगे तो उनके रक्त शर्करा का स्तर और भी नीचे गिर सकता है। अतः यह बहुत खतरनाक साबित होगा।
लक्षण: अवर्णता, चक्कर आना, भूख लगना, कमजोरी, चिड़चिड़ापन।
4 प्रजनन शक्ति को प्रभावित कर सकता है:
तुलसी के अधिक सेवन से मर्दों की प्रजनन शक्ति प्रभावित हो सकती है। इस तर्क को जांचने के लिए खरगोशों पर एक परीक्षण भी किया गया था। इसके लिए खरगोशों को परीक्षण समूह व सामान्य समूह में विभाजित किया गया। परीक्षण समूहवाले खरगोशों को 30 दिनों के लिए दो ग्राम तुलसी के पत्ते खाने के लिए दिए गए। जिससे परीक्षण समूह के खरगोशों की शुक्राणुओं की संख्या में महत्वपूर्ण घटाव नजर आया।
5 गर्भवती महिलाओं में रिएक्शन:
अगर गर्भावस्था में महिलाएं अधिक तुलसी का सेवन करती है तो इसका प्रभाव मां व बच्चे दोनों पर देखा जा सकता है। तुलसी को खाने से गर्भवती महिलाओं का गर्भाशय सिकुड सकता है। जिससे बच्चे के जन्म के दौरान समस्या पैदा हो सकती है व आगे चल कर मासिक धर्म में मुश्किल हो सकती है। इसके अलावा, तुलसी से गर्भवती महिलाओं को कुछ रिएक्शन होने की भी संभावना है।
लक्षण: पीठ में दर्द, ऐंठन, दस्त व खून बहना।
6 ड्रग इंटरेक्शन:
तुलसी के सेवन से हमारे शरीर में कुछ दवाओं की प्रक्रिया में बाधाएं पैदा हो सकती हैं। 'साइटोक्रोम पी450' – जिगर की एंजाइम प्रणाली का उपयोग करके इस बात को सिद्ध किया जा सकता है। डायजेपाम व स्कॉपॉलामिन दो ऐसी दवाएं हैं जो चिंता, उल्टी, घबराहट को कम करने में मदद करती हैं। लेकिन तुलसी इन दोनों दवाओं के प्रभाव को कम कर सकती है तथा इसके कारण खून में दवाओं के स्तर में वृद्धि या कमी हो सकती है।
लक्षण: सीने में जलन, सिर दर्द व मतली।
भले ही प्राकृतिक पदार्थ कई बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखते हों। परंतु, इसका ये मतलब नहीं है कि उसके अधिक सेवन से हमें कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होंगे। अतः हमें उनके गुणों व अवगुणों का ज्ञान होना चाहिए।
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